ब्राह्मण ही ऐसी विरादरी है जो प्रेम की पराकाष्ठा को कायम करते हुए समाज द्वारा दिए सभी धरोहर को सजो कर रखते हुए सभी की रखती है मर्यादा पंडित नीरज तिवारी

श्री निवास तिवारी  की रिपोर्ट

जी हां हम बात करते है ब्राम्हण विरादरी की आप सभी को बताते चलें कि सवर्णों में एक जाति आती है ब्राह्मण की जो समाज के अन्य विरादरियों द्वारा दिए गये सभी चीजों को सुसंजित करते हुए समाज के मानस पटल पर बिना अपना लाभ हानि सोचे सभी के जनकल्याण के लिए कार्य करता  है और समाज द्वारा दिए गये सभी चीजो को सजाकर समायोजित करते हुए सभी चिजों को समाज के आवश्यकता अनुसार समय समय से समाज के बीच रखता है और उसको रखते समय वह यह नही सोचता कि इस कार्य से हमे लाभ होगा या हानि पर वह समाज द्वारा बताए उपलब्ध कराए हर ब्यवस्था का पालन करता आरहा वही हर कोई हर घटना क्रम पर बार बार ब्राह्मण  को ही मोहड़ा बनाते हुए उस पर राजनितिक रोटी सेकना शुरू कर देता  है जो सरासर गलत है यहां तक कि ब्राम्हणो पर आरोप ये लगे कि ब्राह्मणों ने जाति का बटवारा किया,पर कुछ खास इन सभी सवालों के इस जबाब को भी नकारा नही जा सकता जो बेहद ध्यान देने योग्य है

उपरोक्त के बारें में यह भी जानना है बेहद  जरूरी 

आपको बताते चलें कि सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद और उपनिषदों का संकलन कौन किया और उसको बचाने में ब्राम्हण अपना किस तरह योगदान दिए ब्राम्हण किस चीज के संकलन ब्यवस्था मे पुर्ण योगदान दिए उसे बताते है!

१८-पुराण, महाभारत, गीता सब व्यास विरचित है जिसमें वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था दी गई है, रचनाकार व्यास ब्राह्मण जाति से नही थे

ऐसे ही कालीदास या कई कवि जो वर्णव्यवस्था और जाति-व्यवस्था के पक्षधर थे पर जन्मजात ब्राह्मण नहीं थे  तो इस आधार पर समाज के बीच मेरा कुछ सवाल है

1:- कोई एक भी ग्रन्थ का नाम बतलाइए जिसमें जातिव्यवस्था लिखी गई हो और ब्राह्मण ने लिखा हो?

शायद  एक भी नही मिलेगा, मुझे पता है आप मनुस्मृति का ही नाम लेंगे, जिसके लेखक मनु महाराज थे, जो कि क्षत्रिय थे, मनु स्मृति जिसे आपने कभी पढ़ा ही नहीं और पढ़ा भी तो टुकड़ों में! कुछ श्लोकों को जिसके कहने का प्रयोजन कुछ अन्य होता है और हम समझते अपने विचारानुसार है

अब रही बात कि ब्राह्मणों ने क्या किया? तो सुनें! यंत्रसर्वस्वम् (इंजीनियरिंग का ग्रन्थ) भारद्वाज
वैमानिक शास्त्रम् (विमान बनाने हेतु) भारद्वाज
सुश्रुतसंहिता (सर्जरी चिकित्सा)- सुश्रुत
चरकसंहिता (चिकित्सा) चरक
अर्थशास्त्र (जिसमें सैन्यविज्ञान, राजनीति, युद्धनीति, दण्डविधान, कानून आदि कई महत्वपूर्ण विषय हैं) कौटिल्य
आर्यभटीयम् (गणित) आर्यभट्ट

ऐसे ही छन्दशास्त्र, नाट्यशास्त्र, शब्दानुशासन, परमाणुवाद, खगोल विज्ञान, योगविज्ञान सहित प्रकृति और मानव कल्याणार्थ समस्त विद्याओं का संचय अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु ब्राह्मणों ने अपना पूरा जीवन भयानक जंगलों में, घोर दरिद्रता में बिताए!

उसके पास दुनियाँ के प्रपंच हेतु समय ही कहां शेष था? कोई बताएगा समस्त विद्याओं में प्रवीण होते हुए भी, सर्वशक्तिमान् होते हुए भी ब्राह्मण ने पृथ्वी का भोग करने हेतु गद्दी स्वीकारा हो?

विदेशी मानसिकता से ग्रसित वामपंथियों ने कुचक्र रचकर गलत तथ्य पेश किया, आजादी के बाद इतिहास संरचना इनके हाथों सौपी गई और ये विदेश संचालित षड़यन्त्रों के तहत देश में जहर बोने लगे

ब्राह्मण हमेशा से यही चाहता रहा है कि हमारा राष्ट्र शक्तिशाली हो अखण्ड हो, न्याय व्यवस्स्था सुदृढ़ हो

सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:ख भाग्भवेत्.. का मन्त्र देने वाला ब्राह्मण, वसुधैव कुटुम्बकम् का पालन करने वाला ब्राह्मण सर्वदा काँधे पर जनेऊ कमर में लंगोटी बाँधे एक गठरी में लेखनी, मसि, पत्ते, कागज, और पुस्तक लिए चरैवेति-चरैवेति का अनुशरण करता रहा, मन में एक ही भाव था लोक कल्याण!ऐसा नहीं कि लोक कल्याण हेतु मात्र ब्राह्मणों ने ही काम किया, बहुत सारे ऋषि, मुनि, विद्वान्, महापुरुष अन्य वर्णों के भी हुए जिनका महत् योगदान रहा है, किन्तु आज ब्राह्मण के विषय में ही इसलिए कह रहा हूँ कि जिस देश की शक्ति के संचार में ब्राह्मणों के त्याग तपस्या का इतना बड़ा योगदान रहा!जिसने मुगलों, यवनों, अंग्रेजों और राक्षसी प्रवृत्ति के लोंगों का भयानक अत्याचार सहकर भी यहां की संस्कृति और ज्ञान को बचाए रखा, वेदों, शास्त्रों को जब जलाया जा रहा था तब ब्राह्मणों ने पूरा का पूरा वेद और शास्त्र कण्ठस्थ करके बचा लिया और आज भी वे इसे नई पीढ़ी में संचारित कर रहे हैं वे सामान्य कैसे हो सकते हैं?

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पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा फीस
काम्प्टीशन के लिए सबसे ज्यादा फीस
नौकरी मांगने के लिए लिए सबसे ज्यादा फीससरकारी सारी सुविधाएँ OBC, SC, ST, अल्पसंख्यक के नाम पर पूँजीपति या गरीब के नाम पर अयोग्य लोंगों को दी जाती हैं, इस देश में गरीबी से नहीं जातियों से लड़ा जाता हैजिसने शिक्षा को बचाने के लिए सर्वस्व त्याग दिया उसके साथ इतनी भयानक ईर्ष्या क्यों?मैं ब्राह्मण हूँ अत: मुझे किसी जाति विशेष से द्वेष नही है, मैने शास्त्रों को जीने का प्रयास किया है, अत: जातिगत छुआछूत को पाप मानता हूँ गलत तथ्यों के आधार पर हमें क्यों सताया जा रहा है? हमारे धर्म के प्रतीक शिखा और यज्ञोपवीत, वेश भूषा का मजाक क्यों बनाया जा रहा हैं? हमारे मन्त्रों और पूजा पद्धति का उपहास होता है और आप सहन कैसे करते हैं? विश्व की सबसे समृद्ध और एकमात्र वैज्ञानिक भाषा संस्कृत को हम भारतीय हेय दृष्टि से क्यों देखते हैं👉 हमें पता है आप कुतर्क करेंगें, आजादी के बाद भी 75 साल से अत्याचार होता रहा है, हमारा हक मारकर खैरात में बाँट दिया गया, किसी सरकार ने हमारा सहयोग तो नही किया किन्तु बढ़चढ़ के दबाने का प्रयास जरूर किया फिर भी हम जिन्दा है और जिन्दा रहेंगे।

आपका भाई सेवक
नीरज तिवारी
विंध्याचल मिर्ज़ापुर
उत्तर प्रदेश

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